दुःख खाली समय में बढ़ क्यूँ जाता है ,
वफ़ा करने वाला ही क्यूँ छला जाता है ।
क्या इन्सान ने रिश्ते टूटने क लिए बनाये है ,
या रिश्ते हद से बढ़ न जाए .... कही इसलिए मतलबी इन्सान बनाये है।
एक तुम्हारे मतलबी होने से मेरी जिन्दगी बिखर क्यू गई........
क्या थी तुम मेरी जो अब नही हो?????
तुम्हे देखता हूँ तो तुम वही हो , मगर न जाने तुम वो नही हो।
तुम क्या हो ?????????????????????????
मैं अभी भी हस्त्ता हूँ पर खुश नही हूँ।
तुम अबी भी रोती हो पर दुखी नही हो।
ज़माना कहता है की तुम परेशां हो , पर मेरी नजरों में तुम बेमान हो।
Friday, July 17, 2009
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Hmmmm, good...
ReplyDeleteक्या इन्सान ने रिश्ते टूटने क लिए बनाये है ,
ReplyDeleteया रिश्ते हद से बढ़ न जाए .... कही इसलिए मतलबी इन्सान बनाये है।
really nice couplet.i like it immensely.
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ज़रुरत ही हर रिश्ते की बुनियाद है
इंसान है पायदान, पता नहीं इसे किस की तलाश है
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खुदगर्ज़ है ये कौन, तेरी नज़रों के अक्स में?
के चेहरा ये! आएने में कहीं देखा सा है कहीं
माना जान देता है कौन, आखिर इश्क में?
मगर ये मोहबात कैसी ! की ख़ुशी-ऐ-यार में भी ऐतराज़ कहीं
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हम करते रहे उनसे बाते ,
ReplyDeleteसुबह शाम और रातों में,
जो घर आये तो पता चला,
की बात अधूरी रह गई I
हम दिल लगा के सुन बैठे,
उन प्यारी प्यारी बैटन को;
जो शाम हुई तो पता चला,
के आस अधूरी रह गयी.