जिंदगी जिज्ञासा से भरी है,
जिंदगी रहस्यों की गठरी है।
मौत ke घाटों पे जब ये देह,
किसी और देह को जलातीं है...
तब मन में एक सवाल उठती है,
जिंदगी बड़ी या मौत???
जिंदगी कड़वी सच्चाई है या मौत???
पुरी जिंदगी मैं इन सवालो में पड़ा रहू तो जिंदगी मौत से बदतर है....
जिंदगी में जितने सवाल बड़ते है ...जिंदगी उतनी छोटी होती जाती है।
कभी कभी लगता है की मौत ज्यादा अच्छी है ॥
जिन्दगी भर जीने ke बाद भी जिंदगी बेवफा हो जाती है
अंत तलक मौत ही अपनाती है।
तो क्या जिंदगी बेवफा है???
शायद ......... हाँ शायद ....
जिंदगी जिज्ञासा से भरी है ।
Sunday, July 12, 2009
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Wah Amit...Tumhari is Duniya ko Shayad main nahi samajh paunga..kitni gahrayi hai.
ReplyDeleteBas ek cheek hi bolunga..
Shaayar ke pheeke shabdo ki duniya
jalte makaan me basera ye dhunde
kah jaata hai wo savera wo dhunde..
jalte makaan me basera ye duniya...