लो अब मन में एक और ख्वाब मचलने लगा है,
इतना बड़ा हो गया है की अब तंग करने लगा है।
न कुछ सोचता है और न समझता है....
बच्चों सा जिद करता है।
हम जानते है की कुछ ख्वाब पूरे नहीं हो सकते,
पर देखो न फिर भी मन भटकता है।
ऐसे ख्वाबो में रहना तो नींद में रहना हुआ,
जैसे किसी चिकनी सतह पर दौड़ना हुआ।
नहीं इसको मरना होगा औरो की तरह,
गला घोंट दूंगा इसका भी...
कुछ देर तडपेगा फर्श पर और सो जायेगा,
और मै फिर खो जाऊंगा अपनी बेरंग दुनिया में.....................
kaun si khwaish adhuri rah gayi dear??
ReplyDeleteAmit bhai u r great yaar .. kya creativity hai bhai .. aaj tumne apna fan bana diya ..... ...... :)
ReplyDeleteIt gives a fair bit of though of life.
ReplyDeleteBahut sahi hai...
ख्वाब तो है ही महलने के लिए, दिल को समझाना होगा
अगर ख्वाब न हुए तो हकीकत का क्या होगा
good yaar
ReplyDeletetoo good